नई दिल्ली । मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की गवर्निंग बॉडी की बैठक 30 सितंबर को होने वाली है।मार्केट रेगुलेटर ने 30 जुलाई को इस संबंध में एक कंसल्टेशन पेपर भी जारी करके लोगों से राय मांगी थी। माना जा रहा है कि सेबी के पास इंडेक्स डेरिवेटिव्स को लेकर कई लोगों की राय पहुंची है। इसीलिए इस बात की उम्मीद की जा रही है कि 30 सितंबर को होने वाली गवर्निंग बॉडी की मीटिंग में इंडेक्स डेरिवेटिव्स फ्यूचर एंड ऑप्शंस के नए फ्रेमवर्क पर चर्चा हो सकती है।
दरअसल, सेबी काफी समय से इंडेक्स डेरिवेटिव फ्रेमवर्क को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। इसीलिए मार्केट रेगुलेटर ने 30 जुलाई को इस संबंध में एक कंसल्टेशन पेपर भी जारी किया था। इस कंसल्टेशन पेपर में इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की मौजूदा डेली एक्सपायरी सिस्टम की जगह पर वीकली एक्सपायरी का प्रस्ताव रखा गया था। इसके साथ ही इसमें मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया गया था। कंसल्टेशन पेपर में सेबी ने मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू को शुरुआत में बढ़ा कर 15 से 20 लाख रुपये करने की बात कही थी, जिसे आगे चलकर 20 से 30 लाख रुपये करने का प्रस्ताव दिया गया था। इसके साथ ही इसमें स्ट्राइक प्राइसेज से जुड़े नियमों में भी बदलाव करने का प्रस्ताव दिया गया था।
बताया जा रहा है कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) सेगमेंट में रिटेल इन्वेस्टर्स को होने वाले नुकसान की वजह से मार्केट रेगुलेटर मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू में बढ़ोतरी करने के साथ ही वीकली एक्सपायरी के प्रावधान को भी लागू करना चाहता है। फ्यूचर्स एंड ऑप्शन सेगमेंट में रिटेल इन्वेस्टर्स को होने वाले नुकसान को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी चिंता जाहिर कर चुकी हैं। सेबी की हाल में ही आई एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में 93 प्रतिशत रिटेल ट्रेडर्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है।
इसके साथ ही परफॉर्मेंस वैलिडेशन एजेंसी की लॉन्चिंग पर भी इस बैठक में बातचीत हो सकती है। सेबी ने रिसर्च एनालिस्ट्स (आरए) और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (आईए) के प्रदर्शन के दावों की जांच के लिए परफॉर्मेंस वैलिडेशन एजेंसी बनाने के प्रस्ताव पर पिछले साल ही एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था। अगस्त के महीने में ही सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा था कि परफॉर्मेंस वैलिडेशन एजेंसी का जल्द ही गठन किया जा सकता है। यही कारण है की 30 सितंबर को होने वाली सेबी की बैठक पर रिसर्च एनालिस्ट और इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की नजरें भी टिकी हुई हैं, क्योंकि अगर परफॉर्मेंस वैलिडेशन एजेंसी वजूद में आती है तो इसका असर आरए और आईए के कामकाज पर भी होगा।