संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान ने फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा, कहा-इजराइल पर प्रतिबंध लगाया जाए

न्यूयॉर्क, 26 सितंबर (हि.स.)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इजराइल के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की मांग की। साथ ही भारत में कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को रोकने और कश्मीर घाटी में आत्मनिर्णय के लिए जनमत संग्रह का आह्वान किया।

पाकिस्तान के एआरवाई न्यूज की खबर के अनुसार, शहबाज शरीफ ने यह वक्तव्य संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस में दिया। इस बहस का विषय ‘शांति के लिए नेतृत्व’ था। उन्होंने कहा कि इजराइल के खिलाफ फिलिस्तीनियों के नरसंहार जैसे कृत्य के लिए हथियार और व्यापार प्रतिबंध भी लगाए जाएं।

उन्होंने वक्तव्य में बेरूत में हाल ही में किए गए बम विस्फोटों के लिए इजराइल की निंदा की। शरीफ ने इजरायल को गाजा में किसी भी ऐसे प्रयास को रोकना चाहिए, जो मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष को भड़काए। उन्होंने सुरक्षा परिषद से यूक्रेन में युद्ध विराम और संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए एक निष्पक्ष योजना विकसित करने का भी आग्रह किया।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि मध्य पूर्व, यूरोप और अन्य जगहों पर बढ़ते युद्ध और बढ़ती गरीबी विश्व व्यवस्था की नींव को खतरे में डाल रहे हैं। शहबाज ने वक्तव्य में कश्मीर का भी जिक्र किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अब जम्मू-कश्मीर मुद्दे की अनदेखी नहीं कर सकती। यह विवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बना हुआ है। उन्होंने सुरक्षा परिषद से कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकारों के बड़े पैमाने पर हो रहे उल्लंघन को रोकने और कश्मीर घाटी में जनमत संग्रह का आह्वान करते हुए अपने स्वयं के प्रस्तावों को लागू करने का आह्वान किया।

शरीफ ने इस दौरान अफगानिस्तान से आतंकवादी खतरे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि दाएश (आईएसआईएल-के) और फितना अल-खवारिज लगातार पाकिस्तान के लिए खतरा बने हुए हैं। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए अफ्रीकी देशों और अफ्रीकी संघ के लिए सुरक्षा परिषद से सक्रिय समर्थन का आह्वान किया। साथ ही सुरक्षा परिषद से प्रमुख शक्तियों के बीच युद्ध को रोकने और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते तनाव पर दखल देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित नए हथियारों और प्रौद्योगिकियों पर नियंत्रण बनाने की नीति बनानी चाहिए।

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